कुछ औरतें पीती हैं पेट भर कर पानी
खाने से पहले और खाने के बाद
वो नहीं पीतीं सिगरेट या शराब
पर पीती हैं पानी...
वो इस्तेमाल करती हैं पानी,
ब्रह्मास्त्र की तरह
ताकि मार सकें अपनी 'भूख'!
....उनके शरीर में है पर्याप्त मात्रा से भी अधिक पानी
जो ख़ून में मिल कर बना देता है उसे
उनकी ही चमड़ी जितना महीन!
और फ़िर,
यही पानी बढ़ कर पहुंच जाता है उनकी आंखों
तक भी
जो इस्तेमाल किया जाता है
ब्रह्मास्त्र की तरह
उन्हीं औरतों के ख़िलाफ़
ताकि मारे जा सकें...'भूख' से मिलते जुलते शब्द भी!
............... सोचती हूं कि,
क्या कभी कभी पानी की अधिकता ही
नहीं बन जानी चाहिए
बाढ़ की वजह
ताकि बह जाएं तटबंध!
या कि कभी कभी विध्वंस भी ज़रूरी नहीं हो
जाता सृष्टि का संतुलन बनाए रखने के लिए?
पर फ़िर सोचती हूं,
क्या पानी पीती हुई औरतें ये सब सोचती होंगी कभी????